एक पुराने मंदिर में रहस्यमयी हत्याएं । Mysterious Murders in an Old Temple Part 2। Suspense Story in Hindi
भूतपुर के मंदिर का खौफनाक सच Part 2 । Suspense Story in Hindi
चाँद की पूर्णिमा
राजेश का पसीना ठंडा हो गया था। तहखाने की दीवार पर लिखा श्लोक अब तक उसके दिमाग में गूंज रहा था— "जब चाँद पूरा होगा, मेरा रक्त फिर से बहेगा…" आज पूर्णिमा की रात थी, और चाँद आसमान लाल जैसा दिख रहा था।
Rajesh Finds Inscrip । Mysterious Murders in an Old Temple Part 2। Suspense Story in Hindi |
गाँव का एक और आदमी गायब था—रामेश्वर , जो मंदिर की सफाई करता था। उसकी बीवी ने राजेश से कहा, "उसने कल मुझे यही कहा था—'मंदिर के नीचे कुछ गड़बड़ हो रही है…
राजेश ने सुनील से कहा, "आज रात कोई भी मंदिर के पास नहीं जाएगा। यह एक आदेश है।"
छिपा हुआ डायरी
राजेश अपने घर पर बैठा था, जब उसे एक पुराना डायरी मिला। उसकी माँ ने उसे छोड़कर जाते समय दिया था। पन्नों को पलटते हुए उसे एक लिखावट दिखी—"हमारे पूर्वज लाला भैरों के साथ थे… उन्होंने खजाना छुपाया था, लेकिन उसके बदले वो एक बलि माँगता था।"
तभी डायरी के अंदर से एक फोटो गिरा। उसमें एक आदमी था—उसका चेहरा राजेश जैसा ही था। पीछे लिखा था—"तुम्हारा पूर्वज, मेरा साथी।"
राजेश का हाथ काँप गया। क्या वह भी उसी काले जादू का हिस्सा था?
रात्रि का संघर्ष
रात को राजेश ने मंदिर की ओर जाने का फैसला किया। सुनील ने मना किया, लेकिन वह नहीं माना। जैसे ही वह मंदिर के अंदर पहुँचा, चाँद की किरणें दीवारों पर खून से लिखे श्लोकों को चमकाने लगीं।
Body in Haunted Temple । Mysterious Murders in an Old Temple Part 2। Suspense Story in Hindi
तभी उसने एक आवाज़ सुनी—"तुम आ गए… मैंने तुम्हें बुलाया है।" राजेश ने देखा कि विक्रम की लाश मंदिर के कोने में पड़ी थी, लेकिन उसकी आँखें खुली थीं… और वह मुस्कुराह रहा था ।
"तुम्हारा पूर्वज मेरे पिता का साथी था," विक्रम की लाश बोली, "और अब तुम मेरे साथी बनोगे।"
सच्चाई का पर्दाफाश
राजेश के सामने एक आभासी दृश्य आया - 4० साल पहले का। उसने देखा कि लाला भैरों ने गाँव के चार लोगों को बलि दिया था, ताकि वह अमर हो सके। लेकिन राजेश का पूर्वज उसका विरोध करने वाला पहला व्यक्ति था । भैरों ने उसे भी मार डाला, लेकिन उसकी आत्मा ने शपथ ली कि वह भैरों का बदला लेगा।
"तुम्हारा खून ही मेरी ताकत है," विक्रम की आवाज़ ने कहा, "और आज पूर्णिमा को मैं तुम्हें भी बलि करूँगा।"
अंतिम युद्ध
राजेश के हाथ में डायरी थी। उसने जोर से पढ़ा—"जो मृत्यु को मृत्यु से बचाए, वही अमरता पाए।" तभी मंदिर की जमीन हिलने लगी, और एक काली छाया ने विक्रम को निगल लिया।
"तुम्हारा पूर्वज ने मुझे सिखाया कि कैसे लड़ना है," राजेश ने चिल्लाया, "और मैं उसका बदला लूँगा!"
उसने डायरी से एक मंत्र पढ़ा, और मंदिर की मूर्तियाँ टूटने लगीं। विक्रम की आत्मा चीखते हुए विलीन हो गई, लेकिन एक आखिरी संदेश छोड़ गई—"यह सिर्फ शुरुआत है… मेरा खून अभी भी बहेगा।"
सुबह का सच
सुबह होते-होते मंदिर ध्वस्त हो चुका था। राजेश बाहर निकला, लेकिन उसे महसूस हुआ कि कुछ गड़बड़ है। गाँव के लोगों ने उसे घर जाने के लिए कहा, लेकिन जब वह अपने घर पहुँचा, तो उसे एक नया निशान दिखा—उसकी दीवार पर खून से लिखा हुआ था—"पाँचवाँ।"
उसी पल, सुनील ने फ़ोन किया, "थानेदार साहब, एक और लाश मिली है… और इस बार वो आपके घर के पास पड़ी है।"
राजेश की नज़र अपनी ही तस्वीर पर पड़ी, जो दीवार पर लगी थी—उसके गले में जंजीरें, और नीचे लिखा—"अब तुम भी मेरे साथ हो।"
राजेश ने अपनी दीवार पर लिखे "पाँचवाँ" शब्द को मिटाया, लेकिन खून के निशान जैसे उसकी त्वचा में घुसे हुए थे। सुनील ने उसे एक लाश दिखाई - गाँव के एक बुजुर्ग की, जिसकी गले में जंजीरें थीं। राजेश को समझ में आया - - वह पाँचवीं बलि थी।
"लाला भैरों को छः बलि चाहिए थीं… अब सिर्फ मैं बाकी हूँ," राजेश ने कहा।
डायरी का रहस्य
रात को राजेश ने डायरी के आखिरी पन्ने पढ़े—उसमें एक मंत्र लिखा था: "जो अपने पूर्वज के रक्त से मंत्र पढ़े, वही भैरों को शांत कर सकता है।" उसने अपनी उँगली से खून निकालकर मंत्र लिखा, और मंदिर के खंडहर में फेंक दिया।
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तभी जमीन हिली, और लाला भैरों की आत्मा नज़र आई—काली छाया में लिपटी, आँखें लाल, हाथ में तलवार। वह बोला, "तुम भी मेरा हिस्सा बनोगे!"
बलि का अंत
राजेश ने मंत्र पढ़ना शुरू किया। हर शब्द से मंदिर की दीवारें हिलती और भैरों की आत्मा कमज़ोर होती गई। अंत में, राजेश ने चिल्लाकर कहा, "मैं अपने पूर्वज का बदला लेता हूँ!"
एक तेज़ रोशनी में भैरों की आत्मा विलीन हो गई, और मंदिर के नीचे से एक पुराना संदूक निकला—उसमें खजाना नहीं, बल्कि चार लोगों की तस्वीरें थीं, जिन्हें भैरों ने 4० साल पहले मारा था।
गाँव की बचाव
सुबह होते-होते, गाँव के लोगों ने मंदिर को पुनः बनाया। राजेश ने सभी को सच्चाई बताई - कि भैरों का खजाना कभी वास्तविक नहीं था, बल्कि वह लोगों के डर का प्रतीक था।
गाँव के बुजुर्गों ने मंत्रोच्चार करके मंदिर को शुद्ध किया, और राजेश को गाँव का सेवक घोषित किया।
उम्मीद भरा अंत
आज, भूतपुर का मंदिर फिर से जीवन का केंद्र है। राजेश हर पूर्णिमा को मंत्र पढ़ता है, ताकि कोई भी अतीत की गलतियाँ दोहरा न सके। गाँव के लोग मुस्कुराते हैं, और रातें अब शांति से बीतती हैं।
लेकिन कभी-कभी, जब चाँद लाल होता है, तो राजेश को एक आवाज़ सुनाई देती है—"शांति अच्छी चीज़ है… लेकिन अंधेरा हमेशा छिपा रहता है।"
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