लालच का भूत । The Ghost of Greed। Suspense Story in Hindi

a thrilling Hindi suspense story for kids
लालच का भूत । The Ghost of Greed। Suspense Story in Hindi

रात के सन्नाटे में एक अजीब सी आवाज़ गूंजी—"सsss… मदद करो!" मीरा ने चौंककर अपनी खिड़की से बाहर झांका। गाँव के पुराने कुएं की तरफ से ये आवाज़ आ रही थी। बारह साल की मीरा को डर कम और उत्सुकता ज़्यादा थी। उसने अपने छोटे भाई रोहन को जगाया, जो कंबल में दुबका सो रहा था। 


"रोहन, उठ! कुएं से कोई पुकार रहा है!" मीरा ने फुसफुसाते हुए कहा।

रोहन ने आँखें मलीं और डरते हुए बोला, "दीदी, वो कुआँ तो भूतिया है। गाँव वाले कहते हैं वहाँ लालच करने वालों को सजा मिलती है। सो जाओ न!"

पर मीरा कहाँ मानने वाली थी। उसने टॉर्च जेब में डाली, रोहन का हाथ पकड़ा और बोली, "चल, देखते हैं सच क्या है।"

 

चाँद की रोशनी में गाँव खामोश था। कुआँ गाँव के आखिरी छोर पर था, जहाँ घना जंगल शुरू होता था। जैसे ही दोनों कुएं के पास पहुँचे, हवा में ठंडक बढ़ गई। अचानक फिर वही आवाज़—"मुझे निकालो, मेरे पास ढेर सारा सोना है!"


मीरा ने टॉर्च की रोशनी कुएं में डाली। वहाँ नीचे एक आदमी दिखा—उसके कपड़े फटे हुए थे और चेहरा गंदा। उसने हाथ जोड़े और कहा, "मैं एक मुसाफिर हूँ। यहाँ सोने की थैली के पीछे भागते हुए गिर गया। मुझे निकालो, मैं तुम्हें आधा सोना दूँगा!"


रोहन डर से काँपने लगा। "दीदी, ये तो भूत है! भागो!"

पर मीरा को कुछ गड़बड़ लगी। उसने सोचा, "अगर ये इतने दिन से यहाँ फंसा है, तो किसी ने सुना क्यों नहीं? और ये सोना कहाँ है?" उसने टॉर्च की रोशनी इधर-उधर घुमाई। तभी उसे झाड़ियों में एक रस्सी की सीढ़ी दिखी, जो कुएं की तरफ जा रही थी। मीरा का दिमाग तेज़ी से चलने लगा।


"रोहन, ये कोई भूत नहीं, बल्कि कोई चाल है," उसने फुसफुसाया। उसने आदमी से पूछा, "आपको कब से यहाँ फंसे हुए हैं?"

"तीन दिन से," उसने जवाब दिया, लेकिन उसकी आँखों में एक चमक थी जो मीरा को शक पैदा करने वाली लगी।


तभी जंगल से पत्तियों की सरसराहट सुनाई दी। कोई पास आ रहा था! रोहन ने डर से मीरा का हाथ कसकर पकड़ लिया। अचानक, कुएं से वो आदमी चिल्लाया, "जल्दी करो, वरना वो लोग मुझे मार डालेंगे!"


"कौन लोग?" मीरा ने पूछा, लेकिन जवाब से पहले ही तीन साये जंगल से निकले। उनके हाथों में लाठियाँ थीं और चेहरों पर कपड़ा बंधा था।

"बच्चों, यहाँ से हटो! ये हमारा माल है!" एक ने गरजते हुए कहा।


मीरा समझ गई—ये कोई मुसाफिर नहीं, बल्कि चोरों का जाल था। कुएं वाला आदमी उनका साथी था, जो बच्चों को लालच देकर मदद माँग रहा था। असली मकसद था सोने की थैली को बाहर निकालना, जो शायद कुएं में छुपाई गई थी।


"रोहन, भाग!" मीरा ने चिल्लाया और दोनों जंगल की तरफ दौड़े। चोर उनके पीछे लग गए। अंधेरे में टॉर्च की रोशनी इधर-उधर डोल रही थी। रोहन की साँसें फूल रही थीं, पर मीरा ने हिम्मत नहीं हारी। उसने एक पेड़ के पीछे छुपकर चोरों को गुमराह किया।


"उधर गए हैं!" एक चोर ने गलत दिशा में इशारा किया और बाकी उसके पीछे भागे। मीरा और रोहन चुपचाप गाँव की तरफ बढ़े। रास्ते में मीरा ने एक बड़ा पत्थर उठाया और उसे जंगल में फेंका। पत्थर की आवाज़ सुनकर चोर उल्टी दिशा में दौड़े। आखिरकार, दोनों घर पहुँचे और माँ-पिताजी को सारी बात बताई।


गाँव वालों ने मिलकर कुएं की तलाशी ली। वहाँ से एक थैली मिली, लेकिन उसमें सोना नहीं, बल्कि रंगीन पत्थर थे। चोरों ने लालच में नकली सोने को असली समझ लिया था। सुबह तक पुलिस ने चोरों को पकड़ लिया, जो जंगल में एक-दूसरे पर चिल्ला रहे थे।


गाँव में मीरा की बहादुरी की चर्चा होने लगी। रोहन ने हँसते हुए कहा, "दीदी, मैं तो समझा था वो सच में भूत है!"

मीरा ने मुस्कुराकर कहा, "भूत नहीं, लालच का भूत था। जो लालच करता है, वो ऐसा ही फंसता है।"


कहानी का सार

"तो दोस्तों, 'लालच का भूत' ने हमें सिखाया कि लालच से बचकर हिम्मत और समझदारी से हर मुश्किल को हल किया जा सकता है। 
 

आपको ये सस्पेंस स्टोरी इन हिंदी कैसी लगी? नीचे कमेंट में ज़रूर बताइए और बच्चों के लिए ऐसी ही रोमांचक सस्पेंस स्टोरी इन हिंदी पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग को फॉलो करें। अगली कहानी का इंतज़ार करें, क्योंकि रहस्य अभी खत्म नहीं हुआ!"


Comments