Moral Story - गर्मियों की छुट्टियां और नानी का घर। Summer Holidays and Granny's House
गाँव में पेड़ों की ठण्डी हवा और उनकी छाओ का आनन्द लेते थे । लेकिन जब वे अपने गाँव पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि खेत और पेड़ पहले से कम नज़र आ रहे थे, सरकार द्वारा नई-नई सड़कें और रेलवे ट्रैक बनाये जा रहे थे, जिससे पेड़ो और खेतो की संख्या कम नज़र आ रही थी।
राजू और रवि ने देखा कि गांव में एक बुढ़िया अपने घर के पास एक बड़े पेड़ के नीचे बैठी थी। धूप तपक रही थी, और वह अपने बच्चों को बता रही थी कि गर्मी के दिनों में यह पेड़ उनकी जान बचाता है।
बच्चों ने उसे हंसी में लिया, लेकिन राजू और रवि उस बुढ़िया की बातों को बड़े ध्यान से सुन रहे थे। वे जानना चाहते थे कि यह पेड़ उनकी जान कैसे बचाता है।
जब गर्मी दिनों दिन और बढ़ने लगी, तो सभी लोग परेशान हो गए कि अब क्या करे ? लोग अपने घरों में छाया में बैठे थे, रवि और राजू एक पेड़ के पास जाकर खड़े हो गए।
वे देखते हैं कि पेड़ के नीचे एक बड़ा-सा गड्ढा बना हुआ था। उन्होंने उस गड्ढ़े की ओर देखा, उन्होंने उस गड्ढ़े को थोड़ा-सा खोदा, तो उन्हें एक छोटा-सा बॉक्स मिला। उन्होंने उस बॉक्स को खोलने की बहुत कोशिश की पर वो बॉक्स उनसे ना खुला।
राजू और रवि उस बॉक्स को अपने नाना के पास लेकर गए। उनके नाना ने पूछा - ये तुम्हे कहा से मिला। उन्होंने बताया कि ये उन्हें पास वाले पुराने पेड़ के नीचे एक छोटे से गड्ढ़े से मिला।
उनके नाना ने बड़ी मेहनत के बाद उस बॉक्स को खोला, उस बॉक्स में उन्हें एक पुरानी ताँबे की छोटी सी प्लेट मिले। उस प्लेट पर कुछ लिखा हुआ था जो साफ़ नज़र नहीं आ रहा था।
जब उनके नाना ने उस प्लेट को साफ़ किया और पढ़ा। प्लेट पर लिखा था कि "प्रकृति की रक्षा करना हम सभी का दायित्व हैं।" उनके नाना समझ गए कि अब इस गर्मी से छुटकारा कैसे मिलेगा। राजू और रवि के नाना की बात गाँव में सभी लोग मानते थे।
अगले दिन गाँव के एक पंचायत बुलाई गयी और उस पंचायत में फैसला किया गया कि गाँव के हर एक घर के ऑंगन और बाहर पेड़ लगाए जाये। सभी लोग इस बार पर सहमत हो गए।
अगले दिन से सभी लोगो ने घर के आंगन, घर के बाहर, सड़कों की किनारों पर पेड़ लगाए। रवि और राजू ने एक एक पेड़ अपने हाथ से लगाया। एक साल तक उन पेड़ो की अच्छे से देख-रेख की गयी। जब राजू और रवि अगले साल गर्मियों की छुट्टियों में वापस आये तो उन्हें अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ।
गाँव में चारों तरह हरीयाली ही हरीयाली थी, प्यारे पक्षियों की मधुर आवाज जो कानो को सुनने में मन को आनन्दित कर रही थी। जो पेड़ रवि और राजू ने लगया था वह भी अब बड़ा हो चुका था।
रवि और राजू को उस बुढ़िया की बात समाज आ गयी कि पेड़ हमारी जान कैसे बचते हैं। आशा हैं कि ये कहानी आपको अच्छी लगी होगी।
सीख़ :- इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अगर हम पेड़ की रक्षा करे और अधिक से अधिक पेड़ लगाए, तो इस गर्मी से निजात मिल सकती हैं। पेड़ ही जो कार्बनडाईऑक्सइड को अपने अंदर लेते हैं और ऑक्सीजन देते हैं। पेड़ ही जो फल और फूल देते हैं। "प्रकृति की रक्षा करना हम सभी का दायित्व हैं।"