Suspense Story in Hindi - जादुई पेड़। The Magical Tree

Suspense Story - जादुई पेड़। The Magical Tree
Suspense Story in Hindi - जादुई पेड़। The Magical Tree

एक छोटे से गांव में दो दोस्त रहते थे - विक्रम और बाला। दोनों की स्कूल की छुट्टियाँ चल रही थी। दोपहर का समय था दोनों खेलते हुए एक तालाब के पास पहुँच गए, तालाब के किनारे के बहुत पुराना विशाल बरगद का पेड़ था।

पेड़ के अंदर एक बड़ा सुराग था, जिससे कुछ आवाज आ रही थी, वे दोनों उस आवाज को सुन कर उस पेड़ के अंदर चले गए। वहाँ पर उनको एक पुरानी जादुई किताब मिली। जैसे ही उन्होंने उस किताब को खोला, तो किताब से रोशनी निकलने लगी।  

उस रोशनी से पेड़ के सारे पत्ते हरे-भरे हो गए, विक्रम और बाला ये सब देखकर दोनों डर गए कि ये सब क्या हो रहा हैं।अचानक पेड़ का सुराग बंद हो गया विक्रम और बाला दोनों उस पेड़ के अंदर फँस गए। शाम का समय हो चुका था। विक्रम और बाला उस पेड़ के अंदर से चिल्लाते रहे पर उनकी आवाज को नहीं सुन पा रहा था। दोनों भूख की वजह से थक कर बैठ गए और सोचने लगे। काश! हमें यहाँ पर खाना मिल जाये। 

तभी पेड़ ने उनकी मन की बात जान ली और जादू से खाना आ गया। ये सब देख दोनों बहुत खुश हो गए। दोनों ने खाना खाया और फिर सोचने लगे कि पानी भी मिल जाये तो जादू से पानी भी आ गया। दोनों की ख़ुशी की ठिकाना न था, अब दोनों ने आपस ने सोच विचार कि बाहर कैसे निकला जाये। दोनों ने अपने मन में सोचा कि वे बाहर निकल जाये, पेड़ ने उन्हें जाने के लिए रास्ता दिया। इस तरह वे दोनों उस पेड़ से बाहर निकल गए। पेड़ से आवाज आई कि बताओ बच्चों तुम्हे क्या चाहिए ? 

उन्होंने कहा आप हमेशा इस जादुई पेड़ से एक आम पेड़ बन जाये - तभी ऐसा ही हुआ और वो पेड़ हमेशा के जादूगरनी की दिए गए श्राप से आजाद हो गया। विक्रम और बाला रोज़ अपना खाली समय बिताने के लिए अक्सर उस पेड़ के आया करते थे।  मानो ऐसा लगता थे जैसे वो पेड़ उनके आने से मुस्कुराता हो। 

आशा हैं कि आपको हमारी ये कहानी पसंद आई होगी। 

सीख़ :- इस कहानी से हमें ये सीख मिलती हैं कि हमें कभी भी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।


Suspense Story in Hindi - बल्लू की बगिया । The Garden of Balloo

Suspense Story in Hindi - बल्लू की बगिया । The Garden of Balloo
Suspense Story in Hindi - बल्लू की बगिया । The Garden of Balloo

एक छोटे से गाँव में एक बगिया थी। जो हर तरफ से पेड़-पौधे से भरी हुई थी, इस बगिया में हर तरह के फूल और पेड़-पौधे लगे हुए थे। इस बगिया के बीच में एक बगुल रहता था जिसका नाम "बल्लू" था। 

बल्लू एक बहुत ही समझदार और खुशमिजाज पक्षी था। वह बगिया के सभी पेड़-पौधों का ध्यान रखता था। लेकिन एक दिन, बगिया में एक बड़ी आंधी आ गयी। वह आंधी इतनी तेज थी कि सभी पेड़-पौधे इधर-उधर झूलने लगे।

बल्लू ने जल्दी से सभी पेड़-पौधों को बताया कि सभी, "ध्यान दें, मेरे प्यारे दोस्तों! यह आंधी बहुत तेज है। हमें एक डंडा ढूँढना होगा और सभी को एक दूसरे का ख्याल रखना होगा!"

सभी पेड़-पौधे ने बल्लू की बात मान ली। बल्लू ने आंधी के बावजूद एक बड़ा डंडा ढूंढ निकाला और और उस डंडे की मदद से सारे पेड़ पौधे उस से चिपक कर खड़े हो गए। 

आंधी बीत गई और सभी पेड़-पौधे सुरक्षित रहे। बल्लू की मेहनत और समझदारी ने सबको प्रेरित किया कि वे साथ मिलकर हर मुश्किल का सामना कर सकते हैं।

इसके बाद, बल्लू ने एक नया काम शुरू किया। वह हर दिन सुबह-सुबह सभी पेड़-पौधों को पानी देने के लिए बगिया का चक्कर लगाता। उसने सिखाया कि साथ मिलकर हम बड़ी-बड़ी समस्याओं का सामना कर सकते हैं। बल्लू ने सभी को एक साथ रहने की अहमियत सिखाई। उसने दिखाया कि एकता में ही हम अधिक कामयाब हो सकते हैं।

बगिया अब और भी सुंदर और खुशहाल नज़र आ रही थी। सभी पेड़-पौधे हंसमुख और ख़ुशी से खिले हुए थे। और इस तरह बल्लू ने बगिये को एक नया जीवन दिया।

सीख़ :- इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें एकता में रहकर ही किसी भी मुश्किल का सामना करना चाहिए। हमें अपने समस्याओं का सामना करने के लिए मिलजुल के काम करना चाहिए।